जालंधर (निर्मल सिंह): अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्री जसविंदर सिंह की अदालत ने अधिवक्ता श्री ऋषभ भाटिया की प्रभावशाली पैरवी के बाद सचप्रीत पुत्र सतविंदर सिंह, निवासी न्यू बलदेव नगर, जालंधर को अग्रिम जमानत प्रदान की है। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 482 के तहत दायर दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया गया।
मामला एफ.आई.आर. नंबर 03, दिनांक 3 जनवरी 2024, थाना रामा मंडी, जालंधर का है, जिसमें सचप्रीत पर धारा 341, 325, 323, 506, 148, 149, 307 आईपीसी के तहत आरोप दर्ज हैं।
अधिवक्ता ऋषभ भाटिया की प्रभावशाली दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता श्री ऋषभ भाटिया ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि सचप्रीत की जमानत 3 मई 2025 को इसलिए रद्द की गई क्योंकि वह 1 मार्च 2025 और उसके बाद की तिथियों पर अदालत में उपस्थित नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि अनुपस्थिति का कारण नशा मुक्ति उपचार था, क्योंकि सचप्रीत गुर फतेह रिहैबिलिटेशन सेंटर, होशियारपुर में भर्ती था।
भाटिया ने अदालत को यह भी अवगत कराया कि उनके मुवक्किल की अनुपस्थिति जानबूझकर नहीं थी और अब वह मुकदमे की कार्यवाही में पूरी तरह सहयोग करने के लिए तैयार है।
राज्य पक्ष का विरोध और अदालत का निर्णय
राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक श्री शैलेंद्र गिल ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सचप्रीत की गैर-हाजिरी के कारण मुकदमे की कार्यवाही में देरी हुई। हालांकि, अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता की अनुपस्थिति का कारण वास्तविक और उचित है।
अदालत ने कहा कि मुकदमा अभी प्रारंभिक चरण में है और अभियुक्त को दोबारा हिरासत में भेजना न्यायहित में नहीं होगा।
अदालत का आदेश
अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता 15 दिनों के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करे और उचित जमानती बांड दाखिल करने पर जमानत पर रिहा किया जाए।
अधिवक्ता की सफलता की सराहना
कानूनी हलकों में अधिवक्ता ऋषभ भाटिया की इस जीत को एक सार्थक व प्रभावशाली पैरवी का उदाहरण बताया जा रहा है। उनकी कानूनी समझ, तथ्यपरक प्रस्तुति और संवेदनशील दृष्टिकोण के चलते अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में राहत प्रदान की।
